*रक्त एक सरल संयोजी ऊतक है |
*रूधिर का कार्य आक्सीजन को फेफडों से शरीर के सभी भागों में पहुंचाना तथा कार्बन डाई आक्साइड को शरीर के भागों से फेफडे तक लाना है |
*रक्त एक क्षारीय विलयन है जिसका PH मान 7.4 होता है |
*मानव शरीर में रक्त की मात्रा शरीर के भार का लगभग 7 से 8% तक होती है |
*महिलाओं मे पुरूषों की तुलना मे आधा लीटर कम रक्त होता है |
*पचे हुए भोजन एवं हार्मोन का शरीर में संवहन प्लाज्मा के द्वारा होता है
*लाल रक्त कण (RBC) का जीवन काल 100 से 120 दिन का होता है | इसमें हीमोग्लोविन होता है जिसके कारण रक्त का रंग लाल होता है
*हीमोग्लोबिन मे पाया जाने वाला लौह यौगिक हीमैटिन है |
*RBC का मुख्य कार्य शरीर की हर कोशिका मे आक्सीजन पहुंचाना तथा कार्बन डाई आक्साइड बाहर लाना है |
*हीमोग्लोबिन की मात्रा कम होने पर रक्त क्षीणता (एनीमिया) नामक रोग हो जाता है |
*रक्त शरीर के ताप का नियंत्रण तथा शरीर को रोगों से रक्षा करने का कार्य करता है |
*रक्त का थक्का बनने के लिए अनिवार्य प्रोटीन फाइब्रिनोजन है |
*श्वेत रूधिर कणिकाएं हानिकारक जीवाणुओं एवं विषाणुओं का भक्षण करती हैं |
*रूधिर की प्लेट्लेट्स कणिकाएं स्थान या घाव पर रूधिर का थक्का बनाकर उसकी रक्षा करती हैं |
*रूधिर शरीर मे जल संतुलन को बनाये रखता है |
*रक्त समूह की खोज कार्ल लैंड स्टीनर ने किया था | इसके लिए 1930 ई. में उन्हे नोवेल पुरस्कार मिला |
*मनुष्य के रक्तों की भिन्नता का मुख्य कारण लाल रक्त कण (RBC) मे पायी जाने वाली ग्लाइको प्रोटीन है, जिसे एण्टीजन कहते हैं |
*जिसमे दोनों (A तथा B) मे से कोई एण्टीजन नहीं होता है, वह रूधिर वर्ग O कहलाता है |
*रक्त समूह O को सर्वदाता रक्त समूह कहते हैं |
*रक्त वर्ग A B को सर्वग्रहता रक्त समूह कहते हैं, क्योंकि इसमे कोई एण्टीबाडी नही होता है
*इंसुलिन ग्लुकोज से ग्लाइकोजिन बनाने की क्रिया को नियंत्रित करता है |
*इंसुलिन के अल्प स्रवण से मधुमेह नामक रोग होता है |
*रूधिर मे ग्लूकोज की मात्रा बढना मधुमेह कहलाता है |
*शरीर से हृदय की ओर रक्त ले जाने वाली रक्त वाहिनी को ‘शिरा’ कहते हैं |
*शिरा मे अशुद्ध रक्त अर्थात कार्बन डाई आक्साइड युक्त रक्त होता है | इसका अपवाद पल्मोरीन शिरा है |
*पल्मोरीन शिरा फेफडे से बायें अलिंद मे रक्त को ले जाती है , इसमे शुद्ध रक्त होता हैं |
*हृदय से शरीर की ओर रक्त ले जाने वाली रक्त वाहिनी को धमनी कहते हैं |धमनी मे शुद्ध रक्त अर्थात आक्सीजन युक्त रक्त होता है | इसका अपवाद पल्मोनरी धमनी है, पल्मोनरी धमनी दाहिने निलय से फेफडे मे रक्त पहुंचाती है , इसमे अशुद्ध रक्त होता है |
*हृदय के दायें भाग मे अशुद्ध रक्त तथा बायें भाग मे शुद्ध रक्त होता है |
*शरीर से अशुद्ध रक्त दाया अलिंद से दाया निलय फिर फेफडे मे जाता है
*शुद्ध रक्त फेफडे से बायां अलिंद,बायां अलिंद से बायां निलय फिर शरीर मे प्रवेश करता है |
*हृदय की मांसपेशियों को रक्त पहुंचाने वाली वाहिनी को कोरोनरी धमनी कहते हैं | इसी मे किसी प्रकार की रूकावट होने पर हृदयाघात होता है |
*सामान्य अवस्था मे मनुष्य का हृदय एक मिनट मे 72 बार (भ्रूण अवस्था मे 150 बार) धडकता है तथा एक धडकन मे लगभग 70 मि.ली. रक्त पम्प करता है |
*रूधिर मे उपस्थित कार्बन डाई आक्साइड रूधिर के PH को कम करके हृदय की गति को बढाता है, अर्थात अम्लीयता हृदय की गति को बढाती है तथा क्षारीयता हृदय की गति को कम करती है |
*वृक्कों को रूधिर की आपूर्ति अन्य अंगों की तुलना मे बहुत अधिक होती है |
*वृक्क का मुख्य कार्य उत्सर्जन करना होता है |
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